सिनगी दई, जंगल, जेल, और राजा का डर
अनुज लुगुन
1 .
अश्वमेध यज्ञ हो रहा है
यज्ञ का घोड़ा यहाँ पहुँच गया है
हमने घोड़े को रोक कर
उसे खूँटे से बाँध दिया है,
राजा के लिए
शांति का मतलब घोड़े को स्वीकार करना है
हमें इस तरह घोड़े की सवारी नहीं करना
यहाँ से हमारी शांति भंग होती है,
घोड़े ने हमारी फसलों और गीतों को रौंद डाला
हमने राजा से हर्जाने के लिए निवेदन किया
लेकिन राजा ने
हमारे खिलाफ अपने सैनिकों को युद्ध के लिए भेज दिया है
2 .
सिनगी दई
खड़ी हैं
विशाल साम्राज्य की विशाल सेना के सामने
हतप्रभ है उनका सेनापति
कि यहाँ औरतें
बच्चों को अपनी पीठ पर बेतराए
युद्ध मैदान में डटी हैं,
रोहतासगढ़ में पुरुष
माँदर की ताल में झूम रहे हैं
और सिनगी दई
अपनी साथियों के साथ सर पर मुरेठा बाँधे
तीर कमान लिए
निकल गई हैं शिकार करने
3 .
कोयलकारो हमारा है
नेतरहाट हमारा है
खरसावाँ, सारंडा, नगडी, हमारा है
टाटा, कोलियारी हमारा है
चांडिल, दामोदर, हमारा है
लेकिन हम कहाँ हैं...?
हमारा देश कहाँ है...?
संविधान की धाराओं में जेल है
और जेल हमारा पैतृक घर
हम अपनी मातृभूमि के लिए
अपने घरों से बाहर निकलेंगे
और हमारा अपना नया घर होगा
4 .
कितनी ऊँची होती है जेल की दीवार...?
कितनी मजबूत होती हैं बेड़ियाँ...?
क्या किसी की मौत से उसकी आवाज मर जाती है...?
बिरसा मुंडा भी कैद था
जेल की सलाखों के पीछे
उसकी मौत भी वहीं हुई
लेकिन क्या उसकी आवाज को कोई मार पाया...?
क्या उसकी आवाज दबी...?
याद रहे
तुम भी उसी जेल की सलाखों में कैद हो
तुम भी एक आवाज हो
5 .
यह बच्चा
जो मेरे साथ जेल की कस्टडी में है
तुम्हें नहीं लगता
जब यह बड़ा होगा तो
जेल की दीवार टूट जाएगी...?
कानून तोड़ने से कोई अपराधी नहीं होता
कानून अगर बना होता
उस बच्चे की तरह
जो मेरे साथ जेल कस्टडी में है
कानून नहीं टूटते
जेल की दीवारें नहीं टूटती
अन्याय और अत्याचार का किला टूटता है
6 .
जेल एक संकेत है
राजा के डरने का
राजा जब डरता है
तो जेल की दीवारें
ऊँची होने लगती हैं
और सलाखें मजबूत
हम जेल में कैद हैं
हमने राजा को डरा दिया है
हम नहीं डरते...
7 .
अखाड़े से बहार भी
एक अखाड़ा है
यहाँ गीत नहीं
युद्ध होता है
और हमें वहीं जबरन फेंका जा रहा है
अखाड़े में हम गीत भी गाएँगे
अखाड़े में हम पाईका भी नाचेंगे...
8 .
जेल कहाँ है...?
राजा के कानूनों में,
शहीद कहाँ हैं...?
न्याय के रास्ते पर
जेल, राजा, कानून, शहीद
एक ही धरती पर एक ही साथ हैं
लेकिन धरती
शहीदों के सपनों पर जीवित है
धरती अपनी उम्र को लेकर निश्चिंत है कि
हर समय
हर परिस्तिथियों में
हर विपत्तियों में भी
सपने देखे जाते रहेंगे
9 .
दयामनी कौन है...?
सोनी सोडी,
सोनी सोडी कौन है...?
दयामनी बारला,
एक अपर्णा और इरोम भी हैं
ये कौन हैं...?
औरत हैं, नागरिक हैं,
लेकिन इनकी जानकारी
संसद और संविधान में नहीं मिलेगी
न्याय और हक अनुच्छेद और धाराओं में नहीं
सवाल और तनी हुई मुट्ठी में होती है
10 .
उन्हें लगता है
यह एक नारा है
कविता में की गई नारेबाजी है,
वे राजा हैं
राजा के कारिंदे हैं
वे दरबारी हैं
सदियों से
उन्हीं की घर-बारी है,
मैं यहाँ एक पोस्टर चस्पा कर रहा हूँ
जिसमें कविताएँ लिखी हुई हैं
कल वे पोस्टर पर प्रतिबंध लगा देंगे
और कहेंगे
कविताएँ चस्पा नहीं की जानी चाहिए
इसी तरह एक दिन वे
सभी चीजों पर प्रतिबंध लगा देंगे, और
जंगल उनके शिकार का अभ्यारण्य हो जाएगा
11 .
राजा के सैनिक गिरफ्तारी के लिए निकले हैं
रात ने लोगों को अपनी ओट में छुपा लिया है
रात साथ है
चाँद साथ है
दिन होना तय है
तीर पैने हो रहे हैं
कलम तीखी हो रही है
राजा डर रहा है
जेल की दीवारें ऊँची हो रही हैं
और बच्चा बड़ा हो रहा है
नोट -
1. सिनगी दई : ऐतिहासिक आदिवासी (कुडुख समुदाय) महिला चरित्र हैं जिन्होंने मुगल सेनाओं का डटकर मुकाबला किया था। झारखंड के आदिवासियों के लिए वह एक वीर योद्धा हैं लेकिन कहीं इतिहास में लिखित रूप में यह नहीं मिलता है। ...आदिवासियों के बीच सिनगी दई की कथा बहुत लोकप्रिय है और यह कई रूपों में मिलती है।
2. पाईका : मुंडा आदिवासियों के नृत्य की युद्ध शैली है।
====================================================================
मैं गीत गाना चाहता हूँ
अनुज लुगुन
मैं घायल शिकारी हूँ
मेरे साथी मारे जा चुके हैं
हमने छापामारी की थी
जब हमारी फसलों पर जानवरों ने धावा बोला था
हमने कारवाई की उनके खिलाफ
जब उन्होंने मानने से इनकार कर दिया कि
फसल हमारी है और हमने ही उसे जोत-कोड़ कर उपजाया है
हमने उन्हें बताया कि
कैसे मुश्किल होता है बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना
किसी बीज को अंकुरित करने मे कितना खून जलता है
अनुज लुगुन
1 .
अश्वमेध यज्ञ हो रहा है
यज्ञ का घोड़ा यहाँ पहुँच गया है
हमने घोड़े को रोक कर
उसे खूँटे से बाँध दिया है,
राजा के लिए
शांति का मतलब घोड़े को स्वीकार करना है
हमें इस तरह घोड़े की सवारी नहीं करना
यहाँ से हमारी शांति भंग होती है,
घोड़े ने हमारी फसलों और गीतों को रौंद डाला
हमने राजा से हर्जाने के लिए निवेदन किया
लेकिन राजा ने
हमारे खिलाफ अपने सैनिकों को युद्ध के लिए भेज दिया है
2 .
सिनगी दई
खड़ी हैं
विशाल साम्राज्य की विशाल सेना के सामने
हतप्रभ है उनका सेनापति
कि यहाँ औरतें
बच्चों को अपनी पीठ पर बेतराए
युद्ध मैदान में डटी हैं,
रोहतासगढ़ में पुरुष
माँदर की ताल में झूम रहे हैं
और सिनगी दई
अपनी साथियों के साथ सर पर मुरेठा बाँधे
तीर कमान लिए
निकल गई हैं शिकार करने
3 .
कोयलकारो हमारा है
नेतरहाट हमारा है
खरसावाँ, सारंडा, नगडी, हमारा है
टाटा, कोलियारी हमारा है
चांडिल, दामोदर, हमारा है
लेकिन हम कहाँ हैं...?
हमारा देश कहाँ है...?
संविधान की धाराओं में जेल है
और जेल हमारा पैतृक घर
हम अपनी मातृभूमि के लिए
अपने घरों से बाहर निकलेंगे
और हमारा अपना नया घर होगा
4 .
कितनी ऊँची होती है जेल की दीवार...?
कितनी मजबूत होती हैं बेड़ियाँ...?
क्या किसी की मौत से उसकी आवाज मर जाती है...?
बिरसा मुंडा भी कैद था
जेल की सलाखों के पीछे
उसकी मौत भी वहीं हुई
लेकिन क्या उसकी आवाज को कोई मार पाया...?
क्या उसकी आवाज दबी...?
याद रहे
तुम भी उसी जेल की सलाखों में कैद हो
तुम भी एक आवाज हो
5 .
यह बच्चा
जो मेरे साथ जेल की कस्टडी में है
तुम्हें नहीं लगता
जब यह बड़ा होगा तो
जेल की दीवार टूट जाएगी...?
कानून तोड़ने से कोई अपराधी नहीं होता
कानून अगर बना होता
उस बच्चे की तरह
जो मेरे साथ जेल कस्टडी में है
कानून नहीं टूटते
जेल की दीवारें नहीं टूटती
अन्याय और अत्याचार का किला टूटता है
6 .
जेल एक संकेत है
राजा के डरने का
राजा जब डरता है
तो जेल की दीवारें
ऊँची होने लगती हैं
और सलाखें मजबूत
हम जेल में कैद हैं
हमने राजा को डरा दिया है
हम नहीं डरते...
7 .
अखाड़े से बहार भी
एक अखाड़ा है
यहाँ गीत नहीं
युद्ध होता है
और हमें वहीं जबरन फेंका जा रहा है
अखाड़े में हम गीत भी गाएँगे
अखाड़े में हम पाईका भी नाचेंगे...
8 .
जेल कहाँ है...?
राजा के कानूनों में,
शहीद कहाँ हैं...?
न्याय के रास्ते पर
जेल, राजा, कानून, शहीद
एक ही धरती पर एक ही साथ हैं
लेकिन धरती
शहीदों के सपनों पर जीवित है
धरती अपनी उम्र को लेकर निश्चिंत है कि
हर समय
हर परिस्तिथियों में
हर विपत्तियों में भी
सपने देखे जाते रहेंगे
9 .
दयामनी कौन है...?
सोनी सोडी,
सोनी सोडी कौन है...?
दयामनी बारला,
एक अपर्णा और इरोम भी हैं
ये कौन हैं...?
औरत हैं, नागरिक हैं,
लेकिन इनकी जानकारी
संसद और संविधान में नहीं मिलेगी
न्याय और हक अनुच्छेद और धाराओं में नहीं
सवाल और तनी हुई मुट्ठी में होती है
10 .
उन्हें लगता है
यह एक नारा है
कविता में की गई नारेबाजी है,
वे राजा हैं
राजा के कारिंदे हैं
वे दरबारी हैं
सदियों से
उन्हीं की घर-बारी है,
मैं यहाँ एक पोस्टर चस्पा कर रहा हूँ
जिसमें कविताएँ लिखी हुई हैं
कल वे पोस्टर पर प्रतिबंध लगा देंगे
और कहेंगे
कविताएँ चस्पा नहीं की जानी चाहिए
इसी तरह एक दिन वे
सभी चीजों पर प्रतिबंध लगा देंगे, और
जंगल उनके शिकार का अभ्यारण्य हो जाएगा
11 .
राजा के सैनिक गिरफ्तारी के लिए निकले हैं
रात ने लोगों को अपनी ओट में छुपा लिया है
रात साथ है
चाँद साथ है
दिन होना तय है
तीर पैने हो रहे हैं
कलम तीखी हो रही है
राजा डर रहा है
जेल की दीवारें ऊँची हो रही हैं
और बच्चा बड़ा हो रहा है
नोट -
1. सिनगी दई : ऐतिहासिक आदिवासी (कुडुख समुदाय) महिला चरित्र हैं जिन्होंने मुगल सेनाओं का डटकर मुकाबला किया था। झारखंड के आदिवासियों के लिए वह एक वीर योद्धा हैं लेकिन कहीं इतिहास में लिखित रूप में यह नहीं मिलता है। ...आदिवासियों के बीच सिनगी दई की कथा बहुत लोकप्रिय है और यह कई रूपों में मिलती है।
2. पाईका : मुंडा आदिवासियों के नृत्य की युद्ध शैली है।
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मैं गीत गाना चाहता हूँ
अनुज लुगुन
मैं घायल शिकारी हूँ
मेरे साथी मारे जा चुके हैं
हमने छापामारी की थी
जब हमारी फसलों पर जानवरों ने धावा बोला था
हमने कारवाई की उनके खिलाफ
जब उन्होंने मानने से इनकार कर दिया कि
फसल हमारी है और हमने ही उसे जोत-कोड़ कर उपजाया है
हमने उन्हें बताया कि
कैसे मुश्किल होता है बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना
किसी बीज को अंकुरित करने मे कितना खून जलता है
हमने हाथ जोड़े, गुहार की
लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे कि
फसल उनकी है,
फसल जिस जमीन पर खडी है वह उनकी है
और हमें उनकी दया पर रहना चाहिए
हमें गुरिल्ले और छापामार तरीके खूब आते हैं
लेकिन हमने पहले गीत गाए
माँदर और नगाड़े बजाते हुए उन्हें बताया कि देखो
फसल की जड़ें हमारी रगों को पहचानती हैं,
फिर हमने सिंगबोंगा से कहा कि
वह उनकी मति शुद्ध कर दे
उन्हें बताए कि फसलें खून से सिंचित हैं,
और जब हम उनकी सबसे बड़ी अदालत में पहुँचे
तब तक हमारी फसलें रौंदी जा चुकी थीं
मेरा बेटा जिसका बियाह पिछ्ले ही पूर्णिमा को हुआ था
वह अपने साथियों के साथ सेंदेरा के लिए निकल पड़ा
यह टूटता हुआ समय है
पुरखों की आत्माएँ, देवताओं की शक्ति क्षीण होती जा रही हैं
हमारी सिद्धियाँ समाप्त हो रही हैं
सेंदेरा से पहले हमने
शिकारी देवता का आह्वान किया था लेकिन
हम पर काली छायाएँ हावी रहीं
हमारे साथी शहीद होते गए
मैं यहाँ चट्टान के एक टीले पर बैठा
फसलों को देख रहा हूँ
फसलें रौंदी जा चुकी हैं
मेरे बदन से लहू रिस रहा है
रात होने को है और
मेरे बच्चे, मेरी औरत
घर पर मेरा इंतजार कर रही हैं
मैं अपने शहीद साथियों को देखता हूँ
अपने भूखे बच्चों और औरतों को देखता हूँ
पर मुझे अफसोस नहीं होता
मुझे विश्वास है कि
वे भी मेरी खोज में इस टीले तक एक दिन जरूर पहुँचेंगे
मैं उस फसल का सम्मान लौटाना चाहता हूँ
जिसकी जड़ों में हमारी जड़ें हैं
उसकी टहनियों में लोटती पंछियों को घोंसला लौटाना चाहता हूँ
जिनके तिंनकों में हमारा घर है
उस धरती के लिए बलिदान चाहता हूँ
जिसने अपनी देह पर पेड़ों के उगने पर कभी आपत्ति नहीं की
नदियों को कभी दुखी नहीं किया
और जिसने हमें सिखाया कि
गीत चाहे पंछियों के हों या जंगल के
किसी के दुश्मन नहीं होते
मैं एक बूढा शिकारी
घायल और आहत
लेकिन हौसला मेरी मुट्ठियों में है और
उम्मीद हर हमले में
मैं एक आखिरी गीत अपनी धरती के लिए गाना चाहता हूँ...
लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे कि
फसल उनकी है,
फसल जिस जमीन पर खडी है वह उनकी है
और हमें उनकी दया पर रहना चाहिए
हमें गुरिल्ले और छापामार तरीके खूब आते हैं
लेकिन हमने पहले गीत गाए
माँदर और नगाड़े बजाते हुए उन्हें बताया कि देखो
फसल की जड़ें हमारी रगों को पहचानती हैं,
फिर हमने सिंगबोंगा से कहा कि
वह उनकी मति शुद्ध कर दे
उन्हें बताए कि फसलें खून से सिंचित हैं,
और जब हम उनकी सबसे बड़ी अदालत में पहुँचे
तब तक हमारी फसलें रौंदी जा चुकी थीं
मेरा बेटा जिसका बियाह पिछ्ले ही पूर्णिमा को हुआ था
वह अपने साथियों के साथ सेंदेरा के लिए निकल पड़ा
यह टूटता हुआ समय है
पुरखों की आत्माएँ, देवताओं की शक्ति क्षीण होती जा रही हैं
हमारी सिद्धियाँ समाप्त हो रही हैं
सेंदेरा से पहले हमने
शिकारी देवता का आह्वान किया था लेकिन
हम पर काली छायाएँ हावी रहीं
हमारे साथी शहीद होते गए
मैं यहाँ चट्टान के एक टीले पर बैठा
फसलों को देख रहा हूँ
फसलें रौंदी जा चुकी हैं
मेरे बदन से लहू रिस रहा है
रात होने को है और
मेरे बच्चे, मेरी औरत
घर पर मेरा इंतजार कर रही हैं
मैं अपने शहीद साथियों को देखता हूँ
अपने भूखे बच्चों और औरतों को देखता हूँ
पर मुझे अफसोस नहीं होता
मुझे विश्वास है कि
वे भी मेरी खोज में इस टीले तक एक दिन जरूर पहुँचेंगे
मैं उस फसल का सम्मान लौटाना चाहता हूँ
जिसकी जड़ों में हमारी जड़ें हैं
उसकी टहनियों में लोटती पंछियों को घोंसला लौटाना चाहता हूँ
जिनके तिंनकों में हमारा घर है
उस धरती के लिए बलिदान चाहता हूँ
जिसने अपनी देह पर पेड़ों के उगने पर कभी आपत्ति नहीं की
नदियों को कभी दुखी नहीं किया
और जिसने हमें सिखाया कि
गीत चाहे पंछियों के हों या जंगल के
किसी के दुश्मन नहीं होते
मैं एक बूढा शिकारी
घायल और आहत
लेकिन हौसला मेरी मुट्ठियों में है और
उम्मीद हर हमले में
मैं एक आखिरी गीत अपनी धरती के लिए गाना चाहता हूँ...
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